५१३. श्रीहनुमानचालीसा

श्रीहनुमानचालीसा       

✍️ एकादश रुद्रावतार महाबली श्रीराम भक्त श्रीहनुमान जयन्तीको सबैमा हार्दिक मंगलमय शुभकामना !!!
दोहा

श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि ।
चरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फ़ल चारि ।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार ।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस विकार ।।
चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ।।१।।
राम दुत अतुलित बल धामा अंजनि-पुत्र पवन सुत नामा ।।२।।
महावीर विक्रम बजरंगी कुमती निवार सुमति के संगी ।।३।।
कंचन बरन बिराज सुवेसा कानन कुंडल कुंचित केसा ।।४।।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै काँधे मूँज जनेऊ साजै ।।५।।
संकर सुवन केसरीनंदन तेज प्रताप महा जग बंदन ।।६।।
विद्यावान गुने अति चातुर राम काज करिबे को आतुर ।।७।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया राम लखन सीता मन बसिया ।।८।।
सुक्ष्म रुप धरि सियहिं दिखावा  बिकट रुप धरि लंक जरावा ।।९।।
भीम रुप धरि असुर सँहारे रामचंन्द्र काज सँवारे ।।१०।।
लाय सजीवन लखन जीयाये श्रीरघुवीर हरषि डर लाये ।।११।।
रघुपति कीन्हि बहुत बडाई  तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ।।१२।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं अंश कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ।।१३।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनिसा नारद सारद सहित असीसा ।।१४।।
यम कुबेर दिगपाल जहाँ ते कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ।।१५।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा राम मिलाय राज पद दीन्हा ।।१६।।
तुम्हरो मन्त्र बिभीषन माना लंकेश्वर भए सब जग जाना ।।१७।।
जुग सहस्र योजन पर भानु लील्यो ताहि मधुर फ़ल जानू ।।१८।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं जलधिं लाँघि गए अचरज नाहीं ।।१९।।
दुर्गम काज जगत के जेते सुगम अनुग्रह तुम्हारे तेते ।।२०।।
राम दुआरे तुम रखवारे होत न आज्ञा बिनु प्रसारे ।।२१।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना तुम रच्छक काहु को डर ना ।।२२।।
आपन तेज सम्हारो आपै तीनो लोक हाँक ते काँपै ।।२३।।
भुत पिसाच निकट नहिं आवै महावीर जब नाम सुनाबै ।।२४।।
नासै रोग हरै सब पीरा जपत निरंतर हनुमत बीरा ।।२५।।
संकट ते हनुमान छुडावै मन क्रम वचन ध्यान जो लावै ।।२६।।
सब पर राम तपस्वी राजा तीन के काज  सकल तुम साजा।।२७।।
और मनोरथ जो कोइ लावै सोइ अमित जीवन फल पावै ।।२८।।
चारों जुग परताप तुम्हारा है परमसिद्ध जगत उजियारा ।।२९।।
साधु संत के तुम रखवारे असुर निकदंन राम दुलारे ।।३०।।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता अंश वर दिन जानकी माता ।।३१।।
राम रसायन तुम्हारे पासा सदा रहो रघुपति के दासा ।।३२।।
तुम्हारे भजन राम को पावै जनम जनम के दुख विसरावै ।।३३।।
अंतकाल रघुवर पुर जाई जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई ।।३४।।
और देवता चित्त न धरई हनुमत सेइ सर्व सुख करई ।।३५।।
संकट कटै मिटै सब पीरा जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ।।३६।।
जै जै जै हनुमान गोसाई कृपा करहु गुरु देव की नाईं ।।३७।।
जो सत बार पाठ कर कोई छुटहि बंदि महा सुख होई ।।३८।।
जो यह पढै हनुमान चालीसा होय सिद्धि साखी गौरीसा ।।३९।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा कीजै नाथ ह्रदय महँ डेरा ।।४०।।

             

ॐ नम: शिवाय 

दोहा
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रुप ।
राम लखन सीता सहित, ह्रदय बसहु सुर भूप ।।

पाठ संकलन

स्तोत्र पुष्पाञ्जलि
📝 वसन्तराज अधिकारी
घोराही, दाङ
हनुमान जयन्ती २०७९

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