७९. सप्तशतीका सिध्द सम्पुट-मन्त्रहरु

सप्तशतीका सिध्द सम्पुट-मन्त्रहरु            

✍️ वसन्तराज अधिकारी
                         @ कीर्तिपुर, काठमाण्डौं                                                    

± बिश्व रक्षार्थ 

या श्री: स्वयं सुकृतिनां भवनेष्वलक्ष्मी :

पापात्मनां कृतधियां हृदयेषु बुध्दी : ।

श्रध्दा सतां कुलजलनप्रभवस्री लज्जा

ता त्वां नता: स्म परिपालय देवि विश्वम ।।

± विश्वव्यापी विपत्ति नाशार्थ 

देवि प्रपन्न्नार्तिहरे प्रसीद

प्रसीद मातर्जगतो~खिलस्य ।

प्रसीद बिश्वेश्वरी पाही विश्व

त्वमेश्वरी देवि चराचरस्य  ।।

± विपत्ति नाशकालागि 

शरणागदीनार्तपरित्राणपरायणे ।

सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणी नमोस्तु ते ।।

± पाप - नाशार्थ 

हिनस्ती दैत्यतेजांसी स्वनेनापुर्य या जगत ।

सा घण्टा पातु नो देवि पापेभ्यो~न: सुतानिव ।।

± रोग - नाशार्थ 

रोगानशेषानपहंसी तुष्टा

रुष्टा तु कामान सकलानभिष्टान ।

त्वामाशृतानं न विपन्नराणां त्वामाशृता ह्याश्रयतां प्रयान्ती ।।

± महामारी हटाउन 

जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी  ।

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमो~स्तुते ।।

± विघ्न बाधा- शान्तिकालागि 

सर्वबाधाप्रशमनं त्रैलोक्याखिलेश्वरि ।

एवमेव त्वया कार्यमस्मद्बैरिविनाशनम ।।

± दारिद्र्दु:खादिको नाशकालागि 

दुर्गे स्मृता हरसी भीतिमशेषजन्तो :

स्वस्थै: स्मृता मतिमतिव शुभांददासि ।

दारिद्रदु:खभयहारिणि का त्वदन्या 

सर्वोपकारणाय सदा~~द्रचित्ता ।।

क्रमशः

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